अगर साढ़े चार घंटे के भीतर मरीज को सही इलाज मिल गया, तो उसकी जान भी बच जाएगी तथा आजीवन विकलांगता भी नहीं होगी। उन्होंने कहा कि इसके लिए स्ट्रोक की पहचान जरूरी है। अतिकुर रहमान और महताब आलम ने सरल शब्दों में लकवे का लक्षण बताया।
बिगड़ते लाइफस्टाइल से लोगों को विभिन्न तरह की बीमारियां घेरना शुरू कर देती है। बढ़ती उम्र के साथ ही इनका खतरा भी बढ़ जाता है। इस समय सबसे भयानक बीमारी चल रही है, वो है पैरालिसिस, जिसे लकवा भी कहते हैं। शरीर के किसी हिस्से में खून का थक्का जमने के कारण कोशिकाओं और मस्तिष्क में रक्तप्रवाह रूक जाता है, जिसके कारण यह समस्या हो जाती है। लकवा मारने पर इंसान के शरीर के कई हिस्से काम करना बंद कर देते हैं। यदि रोगी को सही समय पर उपचार न मिले, तो ये मौत का कारण भी बन सकता है। इस गंभीर रोग के बारे में चिकित्सा, स्वास्थ्य एवं परिवार कल्याण विभाग और सेन्टर फार एडवोकेसी एण्ड रिसर्च (सीफार) के संयुक्त तत्वावधान में आयोजित कार्यशाला में जानकारी दी गई। बताया गया कि इस अटैक के तीन घंटे बाद तक उपचार मिल जाये, तो इस गंभीर रोग से छुटकारा मिल सकता है।
अगर मरीज के चेहरे का एक हिस्सा झुकने लगे, बांह में कमजोरी महसूस हो, बोलने में आवाज लड़खड़ाने लगे तो समझ जाइए कि मरीज को स्ट्रोक लगा है। उसे तुकत स्ट्रोक सेंटर पहुंचाइए। उन्होंने कहा कि स्ट्रोक एक न्यूरो इमरजेंसी है जिसका इलाज संभव है।
अगर मरीज को गोल्डन आवर्स यानी साढ़े चार घंटे के भीतर स्ट्रोक केंद्र पहुंचाया जाए तो जरूरी मस्तिष्क कोशिकाओं के स्थाई रूप से क्षतिग्रस्त होने, मृत्यु या आजीवन विकलांगता से बचाया जा सकता है। महताब आलम और अतिकुर रहमान ने बुधवार को बिहारशरीफ में प्रेस कॉन्फ्रेंस को संबोधित करते हुए कहा कि ये बीमारी ऐसी है कि पूरा घर तबाह हो जाता है। उन्होंने बताया कि स्ट्रोक दुनिया में विकलांगता का प्रमुख और भारत में मृत्यु का तीसरा बड़ा कारण है। दुनिया में हर चार में से एक व्यक्ति अपने जीवन काल में स्ट्रोक का प्रभाव झेलते हैं। यह किसी को भी किसी उम्र में हो सकता है। उन्होंने बताया कि स्ट्रोक के लक्षणों को जल्दी पहचान कर इसके प्रभाव को कम किया जा सकता है।
आपकी तत्काल कार्रवाई पीड़ित की मस्तिष्क क्षति व दीर्घकालीन विकलांगता को रोकने में मदद कर सकती है। इसलिए जरूरी है कि लोग इसके लक्षणों को पहचाने और किसी में भी यह लक्षण दिखे तो तत्काल विशेषज्ञ डॉक्टर या अस्पताल तक पहुंचाएं।
स्ट्रोक का शिकार होने वाले हर चार में से एक व्यक्ति को दुबारा स्ट्रोक की संभावना बनी जाती है। ने बताया कि धूम्रपान से बचाव तथा ब्लड प्रेशर, ब्लड शुगर और हाई कोलेस्ट्रॉल पर नियंत्रण कर इसे रोका जा सकता है।